Monday, May 13th, 2024

दो साल बाद खोला बीयू के फार्मेसी विभागाध्यक्ष का कमरा, कमेटी ने बनाया पंचनामा


भोपाल
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष कक्ष का ताला मंगलवार को एक कमेटी ने खुलवा दिया है। दो साल पहले विभागाध्यक्ष डॉ. एके पाठक के बर्खास्त होने के बाद से कक्ष में ताला लगा हुआ था। अभी भी कुछ ऐसी संपत्तियां हैं, जिन पर अधिकारी काबिज बने हुए हैं। उन्हें भी बीयू जल्द बेदखल करेगा पॉलिटेक्निक कॉलेज में पदस्थ रहे डॉ. एके पाठक को तकनीकी शिक्षा विभाग से बीयू आए थे। उन्हें विदा करने के लिए तत्कालीन कुलपति मुरलीधर तिवारी ने कार्यपरिषद से मंजूरी तक ले ली थी। वर्तमान में उनका प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है। उन्हें करीब डेढ़ साल का वेतन भी नहीं दिया गया। डॉ. पाठक द्वारा पहले की नौकरी छोड़ने की बात कहकर वापस जाने से इनकार किया, तो कुलपति ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। बर्खास्तगी के बाद पाठक बिना किसी को चार्ज दिए ही एचओडी कक्ष में ताला लगाकर चले गए थे। पाठक ने अपनी नौकरी की बहाली और वेतन भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई है,जिसमें अभी सुनवाई होना बाकी है।


कुलपति राव ने ताला तोड़ने के लिए बनाई थी कमेटी
कुलपति डॉ. तिवारी की बर्खास्तगी के बाद आए कुलपति प्रमोद कुमार वर्मा और डीसी गुप्ता ने ताला खुलवाने में असफल रहे। इसके बाद कुलपति प्रो. आरजे राव ने ताला तोड़ने के लिए समिति गठित कर दी। बीयू के फामेर्सी विभाग में मंगलवार को दोपहर एक बजे डिप्टी रजिस्ट्रार यशवंत पटेल के नेतृत्व में टीम पहुंची। इस पर फिर पाठक के चहेते अधिकारियों ने हाईकोर्ट का हवाला देकर गुमराह करने का प्रयास किया। टीम ने बंद कमरे में बैठक लेकर समझाया, तब कहीं जाकर लगभग तीन बजे ताला तोड़ा गया। इसके बाद मुख्य द्वारा बंदकर लगभग दो घंटे तक पंचनामा बनाया गया।


सात साल में नहीं मिली एनओसी
फिजिक्स विभाग में एचओडी रहे आरके पांडे को बीयू छोड़े सात साल से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन आज भी उनके नाम पर लैब में ताले लगे हुए हैं, जिसमें करोड़ों रुपए के उपकरण बेकार हो चले हैं। वे सात साल में बीयू से नोओसी तक नहीं ले सके। लीयन से जाने के बाद वे अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन बीयू उनके कब्जे में बनी लैब को आज तक नहीं छुड़ा पाए हैं।

बर्खास्त एडी के पास बंगला
फर्जी नियुक्ति में कुलपति तिवारी की रवानगी हुई थी। फर्जी नियुक्ति में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप अरविंद्र कुमार को नियुक्त किया गया। उन्हें बिना अधिकार के एक बंगला दिया गया। उन्हें एक साल पहले बर्खास्त कर दिया गया है। इसके बाद भी बंगले में बिना किसी अधिकार के बने हुए हैं। बीयू उनसे दो साल में लाखों रुपए का किराया तक नहीं वसूल पाया।

निजी विवि में बने कुलपति
एके ग्वाल को सेवानिवृत्त हुए पांच साल हो गए हैं, लेकिन उनके कमरे में आज भी उनका ताला लगा हुआ है। बीयू अधिकारी उसे खोलकर अपने कब्जे में लेने आज भी कतरा रहे हैं। जबकि ग्वाल रविंद्रनाथ टैगोर निजी विवि में कुलपति के बने बैठे हुए हैं।  

उज्जैन से आए सतपुड़ा पर बंगला बीयू में
बीयू से स्थानांतरण होने के बाद उज्जैन विवि में रजिस्ट्रार राकेश चौहान, उच्च शिक्षा विभाग में ओएसडी के अब अब शासन ने उन्हें महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि चित्रकूट भेज दिया है। इसके बाद भी उन्होंने ने बीयू के बंगले को नहीं छोड़ा है। जबकि बीयू उन्हें कई नोटिस तक दे चुका है। वे इसका किराया भी जमा नहीं कर रहे हैं।

 

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